हाईराइज इमारतों में संरचनात्मक ऑडिट कराने की तैयारी
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गुरुग्राम। सेक्टर-109 स्थित चिनटेल्स पैराडाइसो सोसाइटी में फरवरी में हुए हादसे के बाद अब जिले की 60 हाईराइज इमारतों में संरचनात्ममक ऑडिट कराने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सलाहकारों का पैनल तैयार किया जा रहा है। विभिन्न एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं। इसके बाद एक सप्ताह के अंदर प्रशासन सलाहकारों को सूचीबद्ध कर देगा।
जिला प्रशासन को पिछले दो साल में इमारतों के निर्माण में गड़बड़ी के संबंध में 60 कॉलोनियों व ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों से शिकायत मिली थी। चिनटेल्स हादसे के बाद शिकायतों के निस्तारण के लिए दबाव बढ़ गया। इन्हीं शिकायतों के स्थायी समाधान के लिए संरचनात्मक ऑडिट कराने के लिए यह पैनल बनाया गया है, जिससे ऊंची इमारतों में रह रहे लोग उसकी संरचना को लेकर सुरक्षित महसूस करें।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि आवेदन करने के लिए एजेंसी को स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग, ऑडिटिंग और स्ट्रक्चरल एनालिसिस में कम से कम 10 साल का अनुभव होना जरूरी है। बहुमंजिला इमारतों के स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग और ऑडिटिंग में कम से कम 5 साल का अनुभव हो। साथ ही तीन योग्य स्ट्रक्चरल इंजीनियर भी नियुक्त हों। एजेंसी पूर्व में काली सूची में न डाली गई हो। एजेंसी का सन 2017 से 2020 की तीन वर्ष की अवधि में सालाना टर्न ओवर दो करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए।
इसके साथ ही एजेंसी ने पिछले 5 साल में कम से कम 10 परियोजनाओं की डिजाइनिंग और ऑडिट का काम किया हो। एक इमारत कम से कम 15 मंजिल की हो। उपायुक्त ने बताया कि एक बार पैनल को अंतिम रूप देने के बाद प्रशासन द्वारा वित्त विवरण तैयार किया जाएगा। ऑडिट करवाने में जो लागत आएगी, वह संबंधित डेवलपर वहन करेगा।
जिला प्रशासन को पिछले दो साल में इमारतों के निर्माण में गड़बड़ी के संबंध में 60 कॉलोनियों व ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों से शिकायत मिली थी। चिनटेल्स हादसे के बाद शिकायतों के निस्तारण के लिए दबाव बढ़ गया। इन्हीं शिकायतों के स्थायी समाधान के लिए संरचनात्मक ऑडिट कराने के लिए यह पैनल बनाया गया है, जिससे ऊंची इमारतों में रह रहे लोग उसकी संरचना को लेकर सुरक्षित महसूस करें।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि आवेदन करने के लिए एजेंसी को स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग, ऑडिटिंग और स्ट्रक्चरल एनालिसिस में कम से कम 10 साल का अनुभव होना जरूरी है। बहुमंजिला इमारतों के स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग और ऑडिटिंग में कम से कम 5 साल का अनुभव हो। साथ ही तीन योग्य स्ट्रक्चरल इंजीनियर भी नियुक्त हों। एजेंसी पूर्व में काली सूची में न डाली गई हो। एजेंसी का सन 2017 से 2020 की तीन वर्ष की अवधि में सालाना टर्न ओवर दो करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए।
इसके साथ ही एजेंसी ने पिछले 5 साल में कम से कम 10 परियोजनाओं की डिजाइनिंग और ऑडिट का काम किया हो। एक इमारत कम से कम 15 मंजिल की हो। उपायुक्त ने बताया कि एक बार पैनल को अंतिम रूप देने के बाद प्रशासन द्वारा वित्त विवरण तैयार किया जाएगा। ऑडिट करवाने में जो लागत आएगी, वह संबंधित डेवलपर वहन करेगा।
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