राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिया दखल, कहा, बच्चों की पढ़ाई जारी रहे

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गुरुग्राम। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पाथवेज स्कूल से पांच छात्रों को स्कूल से निकालने के मामले में दखल देते हुए डीसी को आदेश जारी किए हैं कि वह दो सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई के दौरान व्यवधान न हो।
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आयोग के सीनियर कंसलटेंट रमनधर गौर ने आदेश में कहा है कि मामला अभिभावक और स्कूल के बीच फीस को लेकर है। इस मामले में बच्चों को स्कूल से निकालने का कोई औचित्य नहीं है। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ 17 आरटीई तथा सेक्शन 75 जेजे एक्ट 2015 के तहत कार्रवाई बनती है या नहीं। इस मामले में डीसी को जांच करने के आदेश किए हैं। साथ ही इस मामले में की जाने वाली कार्रवाई से आयोग को दो सप्ताह के अंदर अवगत कराएं। आयोग ने यह भी कहा है कि इसे प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए।
बता दें कि इस मामले में पाथवेज स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों के जवाब के बाद पांच छात्रों को स्कूल से निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिये थे। हालांकि इस मामले की सुनवाई मंडलायुक्त के यहां की जा रही हैं। कमिश्नर के आदेश पर आज अपर जिला आयुक्त प्रशांत कुमार ने अभिभावकों का पक्ष सुना। एडीसी के अनुसार अभिभावकों का पक्ष सुन लिया गया है। स्कूल प्रबंधन को भी पक्ष प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं। इसी के बाद इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई की जाएगाी।

पाथवेज अरावली स्कूल ने भी पांच छात्रों को निष्कासित करने का नोटिस भेजा

गुरुग्राम। इंटरनेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त अरावली स्थित पाथवेज स्कूल ने भी अपने यहां के पांच छात्रों को निकालने की तैयारी कर ली हैं। इन छात्रों को निकालने से पहले नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें अभिभावकों से चार दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है। जिसमें कहा है कि समय पर जवाब न देने या फिर उनका जवाब संतोषजनक न होने की स्थिति में उनके बच्चों को अगले शिक्षा सत्र से निकाल दिया जाएगा।

पाथवेज स्कूल अरावली के प्रबंधन की ओर से जारी आदेश में जिन छात्रों को निकालने के लिए नोटिस जारी किए हैं। उनमें आठवीं कक्षा के अनंत त्रिपाठी, कक्षा छह से अंकित त्रिपाठी, लवानिया बहरी, दिव्यांश सिंह, दर्श शर्मा तथा केजी की छात्रा किआन राज हैं। इन सभी के अभिभावकों को ईमेल के माध्यम से नोटिस भेजे गए हैं। अभिभावकों का कहना है कि उनकी ओर से हाईकोर्ट में कोरोना काल की फीस लेने के विरोध में रिट दायर की है। जिस पर अभी सुनवाई हो रही है। इस अवधि में उनके बच्चों को स्कूल से निष्कासित करने का नोटिस जारी करना गलत है। इतना ही नहीं फीस के विरोध में पिछले साल 11 मई को कमिश्नर के यहां आवेदन किया था। 17 जुलाई को डीईओ के यहां भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके साथ-साथ 20 और 22 जुलाई को भी स्कूल प्रबंधन द्वारा कोरोना काल की फीस लिए जाने के विरोध में शिकायतें की गईं थीं। अभिभावकों का आरोप है कि इस तरह शिकायत करने को प्रबंधन स्कूल की बदनामी मानकर बच्चों को स्कूल से निकालने का नोटिस जारी किया है। दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अभिभावकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिसमें कहा है कि आपने बच्चों के एडमिशन के लिए जो नियम और शर्तें रखीं थीं। उनका पालन नहीं किया गया है, कृपया स्पष्टीकरण दें कि क्यों न आपके बच्चे को स्कूल से निष्कासित कर दिया जाए।

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